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एलसीडी डिस्प्ले का कार्य सिद्धांत क्या है?

2024-10-25

के कार्य सिद्धांतआयसीडी प्रदर्शनछवि प्रदर्शन को साकार करने के लिए लिक्विड क्रिस्टल अणुओं और बैकलाइट को उत्तेजित करने के लिए मुख्य रूप से विद्युत प्रवाह पर निर्भर करता है। लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (एलसीडी) में बीच में लिक्विड क्रिस्टल सामग्री वाली दो समानांतर प्लेटें होती हैं। लिक्विड क्रिस्टल अणुओं की व्यवस्था को वोल्टेज द्वारा बदला जाता है, ताकि प्रकाश परिरक्षण और प्रकाश संचरण के प्रभाव को प्राप्त किया जा सके, और फिर विभिन्न गहराई की छवियां प्रदर्शित की जा सकें।

LCD display

की विशिष्ट कार्य प्रक्रियाआयसीडी प्रदर्शनइस प्रकार है:


ध्रुवीकृत प्रकाश:बाहरी प्रकाश ऊपरी ध्रुवक से गुजरने के बाद ध्रुवीकृत प्रकाश बनाता है, और ध्रुवीकृत प्रकाश की कंपन दिशा ऊपरी ध्रुवक की कंपन दिशा के अनुरूप होती है।

लिक्विड क्रिस्टल अणु व्यवस्था:जब ऊपरी और निचले इलेक्ट्रोड के बीच कोई वोल्टेज लागू नहीं होता है, तो लिक्विड क्रिस्टल अणु समानांतर में व्यवस्थित होते हैं और ऑप्टिकल रोटेशन करते हैं। लिक्विड क्रिस्टल सामग्री से गुजरने के बाद ध्रुवीकृत प्रकाश 90° घूमता है, निचले ध्रुवीकरण से गुजर सकता है, और परावर्तक द्वारा वापस परावर्तित होता है, और डिस्प्ले पारदर्शी होता है।

वोल्टेज क्रिया:जब ऊपरी और निचले इलेक्ट्रोड के बीच एक निश्चित वोल्टेज लगाया जाता है, तो इलेक्ट्रोड के बीच लिक्विड क्रिस्टल अणु लंबवत रूप से व्यवस्थित हो जाते हैं और ऑप्टिकल रोटेशन खो देते हैं। ध्रुवीकृत प्रकाश को निचले ध्रुवक के माध्यम से वापस परावर्तित नहीं किया जा सकता है, और इलेक्ट्रोड भाग काला हो जाता है।

प्रदर्शन नियंत्रण:संबंधित डिस्प्ले प्राप्त करने के लिए आवश्यकतानुसार इलेक्ट्रोड को विभिन्न वर्णों और ग्राफिक्स में बनाया जा सकता है।

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